Adjournment Culture: स्थगन क्या है, जिस पर राष्ट्रपति ने गहरी चिंता जताई

Adjournment Culture: स्थगन क्या है, जिस पर राष्ट्रपति ने गहरी चिंता जताई

Adjournment Culture: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय जिला न्यायपालिका सम्मेलन के समापन सत्र में भारत की न्याय प्रणाली में स्थगन की संस्कृति (Adjournment Culture) पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे ‘ब्लैक कोट सिंड्रोम’ करार दिया और इसे एक गंभीर समस्या बताया जो गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए न्याय की प्रक्रिया को कठिन बना देती है। आइये जानते है की क्या है ये स्थगन संस्कृति और क्या है इसका प्रभाव हमारे अदालत प्रणाली में।

न्याय प्रणाली में स्थगन की संस्कृति (Adjournment Culture)

राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया कि स्थगन की संस्कृति,(Adjournment Culture) जिसमें मामलों की बार-बार तारीखें बढ़ा दी जाती हैं, न्याय की प्रक्रिया को अत्यंत धीमा कर देती है। उन्होंने कहा कि इस ‘तारीख पे तारीख’ संस्कृति से आम जनता की न्याय प्रणाली पर भरोसा घटता है और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग न्याय प्राप्त करने से घबराते हैं।

गंभीर अपराधों में देरी की चिंता

मुर्मू ने कहा कि बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के मामलों में देरी से न्याय की प्रक्रिया में संवेदनशीलता की कमी का आभास होता है। उन्होंने कहा कि जब इन मामलों के निर्णय वर्षों बाद आते हैं, तो यह सामान्य जनता के लिए न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता की कमी का संकेत देता है।

स्थगन (Adjournment) क्या है?

स्थगन (Adjournment) का मतलब है किसी कार्य या मामले को कुछ समय के लिए रोक देना। न्यायालयों और संसदों में, जब किसी मामले की सुनवाई या चर्चा को किसी विशेष कारण से टाल दिया जाता है, तो इसे स्थगन (Adjournment) कहते हैं।

न्यायालयों में स्थगन

भारत में न्यायालयों में स्थगन का प्रचलन काफी आम है। कई बार मामलों की सुनवाई को टाला जाता है क्योंकि:

  1. वकीलों की अनुपस्थिति: यदि कोई वकील अपनी बात को प्रस्तुत करने के लिए उपलब्ध नहीं होता है, तो सुनवाई स्थगित की जा सकती है।
  2. साक्ष्यों की कमी: कई बार न्यायालय को आवश्यक साक्ष्यों या दस्तावेजों की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे मामले की सुनवाई को स्थगित किया जाता है।
  3. क्लियरेंस की आवश्यकता: मामले में अतिरिक्त जानकारी या जांच की आवश्यकता हो सकती है, जिससे सुनवाई को स्थगित किया जाता है।

संसद और विधानसभा में स्थगन

संसद और राज्य विधानसभाओं में भी स्थगन की प्रथा देखने को मिलती है। यह स्थगन निम्न कारणों से हो सकता है:

  1. विरोध और हंगामा: यदि कोई विवाद उठता है या हंगामा होता है, तो सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जा सकता है।
  2. सदस्यों की अनुपस्थिति: कभी-कभी सदन में आवश्यक संख्या में सदस्य उपस्थित नहीं होते हैं, जिससे कार्यवाही को स्थगित करना पड़ता है।
  3. अन्य तकनीकी समस्याएँ: जैसे कि सत्र के दौरान तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कार्यवाही स्थगित की जाती है।

स्थगन की संस्कृति (Adjournment Culture) के प्रभाव

  1. काम की गति में कमी: स्थगन (Adjournment) के कारण मामलों की सुनवाई और निर्णय की प्रक्रिया में काफी देर हो जाती है। इससे न्याय में विलम्ब होता है और नागरिकों को समय और धन की हानि होती है।
  2. अविश्वास का माहौल: लगातार स्थगन के कारण न्याय प्रणाली और राजनीति में लोगों का अविश्वास बढ़ता है। यह नागरिकों को असंतोषजनक अनुभव कराता है।
  3. विवाद और समस्याएँ: स्थगन (Adjournment) के कारण कई बार विवाद और समस्याएँ जटिल हो जाती हैं, जो समाधान की प्रक्रिया को और मुश्किल बना देती हैं।

स्थगन की समस्या का समाधान

  1. प्रोसेस की दक्षता: न्यायालयों और संसदीय प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधार करने चाहिए, ताकि स्थगन (Adjournment) की आवश्यकता कम हो सके।
  2. प्रस्तावित नीतियाँ: स्थगन (Adjournment) की समस्या को दूर करने के लिए नीतियाँ और नियम बनाए जाने चाहिए, जो स्थगन के मामलों को कम करें।
  3. टेक्नोलॉजी का उपयोग: तकनीकी उपकरणों और संसाधनों का उपयोग करके कार्यवाही की गति को तेज किया जा सकता है और स्थगन (Adjournment) की संख्या को कम किया जा सकता है।

भारत में स्थगन की संस्कृति (Adjournment Culture) एक जटिल मुद्दा है, जो न्याय प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। इस समस्या को हल करने के लिए कार्यवाही की दक्षता, नीतियों में सुधार, और तकनीकी उपायों का उपयोग करना आवश्यक है। इससे न केवल न्याय और राजनीतिक प्रक्रियाओं में तेजी आएगी, बल्कि नागरिकों के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।

भारत में न्याय प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रियाओं में स्थगन (adjournment) एक सामान्य और प्रचलित प्रथा बन गई है। इस लेख में हम जानेंगे कि स्थगन की संस्कृति क्या है, इसके कारण, और यह किस प्रकार से प्रभाव डालती है।

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