Sharda Sinha: लोक संगीत की दुनिया में एक अपूरणीय क्षति प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात 9:20 बजे दिल्ली में निधन हो गया। वे 72 वर्ष की थीं और लंबे समय से बीमारी से जूझ रही थीं। उनके निधन की खबर ने न केवल संगीत जगत को बल्कि बिहार और विशेष रूप से छठ पूजा के श्रद्धालुओं को गहरा शोक में डूबो दिया है। शारदा सिन्हा के गीतों में एक ऐसी जादूई आवाज थी जो बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य हिस्सों में लोगन के दिलों में बसी हुई थी। उनकी आवाज में छठ पूजा की महत्ता और भारतीय लोक संगीत की गहरी छाप हमेशा याद रखी जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर शोक संदेश में लिखा, “मैं शारदा सिन्हा जी के निधन से बहुत दुखी हूं। उनकी मैथिली और भोजपुरी लोक गीतों ने पिछले कई दशकों में लोगों के दिलों में खास स्थान बनाया। उनका योगदान अपार था और उनकी आवाज हमेशा छठ पूजा की भक्ति और संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंजेगी। यह संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।” प्रधानमंत्री ने शारदा सिन्हा के परिवार और उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की।
सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस… pic.twitter.com/sOaLvUOnrW
— Narendra Modi (@narendramodi) November 5, 2024
बिहार के मुख्यमंत्री का शोक संदेश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने बयान में कहा, “शारदा सिन्हा ने बिहार की लोक कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी गायकी ने बिहार की लोक संगीत धारा को नया दिशा दी और उन्हें ‘बिहार कोकिला’ के रूप में सम्मानित किया। उनके निधन से एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है।”
लोक संगीत में योगदान
शारदा सिन्हा को भारतीय संगीत जगत में उनका महत्वपूर्ण योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। वे भोजपुरी, मैथिली, मगही और हिंदी में गाती थीं। उनके गाए गए कई गीत आज भी लोगों की जुबां पर हैं। “कुहू कुहू बोले कागा”, “तार बिजली”, “बाबुल” जैसे गीतों से उन्होंने बॉलीवुड संगीत में भी अपनी छाप छोड़ी। लेकिन उनकी पहचान मुख्य रूप से छठ पूजा से जुड़ी उनकी लोक गीतों से बनी। “कार्तिक मास ईजोईरिया” और “कोयल बिन” जैसे गीतों ने उनकी विशेष पहचान बनाई।
स्वास्थ्य समस्याओं और बीमारी के कारण निधन
Sharda Sinha पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उन्हें रक्त कैंसर (मल्टीपल मायलोमा) और सेप्टिसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा था। हाल ही में उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती किया गया था। वहां उनका इलाज चल रहा था, लेकिन स्वास्थ्य complications के कारण उनका निधन हो गया।
Sharda Sinha की अंतिम यात्रा
Sharda Sinha का पार्थिव शरीर बुधवार, 6 नवंबर को दिल्ली से पटना लाया जाएगा। उनके परिवार के सदस्य और चाहने वाले पटना में उनके अंतिम दर्शन के लिए जुटेंगे। उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर राज्य सम्मान के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक और संगीत प्रेमी एकत्रित होंगे।
राष्ट्र और संगीत प्रेमियों की अपूरणीय क्षति
Sharda Sinha के निधन ने न केवल संगीत जगत को गहरे शोक में डुबो दिया है, बल्कि उनके लाखों प्रशंसकों के दिलों में भी शोक की लहर है। वे एक ऐसी कलाकार थीं जिनकी आवाज़ भारतीय लोक संगीत के इतिहास में अमर रहेगी। उनके गीतों में लोगों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर की गूंज थी, जो हर दिल में बस जाती थी। शारदा सिन्हा का निधन संगीत के क्षेत्र में एक ऐसी रिक्तता छोड़ गया है, जिसे भर पाना मुश्किल है।
अंतिम शब्द
Sharda Sinha का निधन भारतीय लोक संगीत की दुनिया में एक अनमोल रत्न के जाने जैसा है। उनकी गायकी, उनकी मधुर आवाज और उनके गीतों में जो भावनाएं थीं, वे हमेशा जीवित रहेंगी। वे एक कालजयी कलाकार थीं जिनके गीत और संगीत जीवनभर लोगों के दिलों में बसे रहेंगे।
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