Rajya Sabha: सिर्फ Jaya Bacchan कहते तो काफी होता!

Rajya Sabha, Jaya Bacchan

Jaya Bacchan जानी मानी बॉलीवुड अभिनेत्री और Rajya Sabha में सपा की सांसद को बिलकुल पसंद नहीं आया की उनके नाम के साथ उनके पति अमिताभ बच्चन का नाम जोड़ कर उनको सम्बोधित किया जाए । उन्होंने अपनी ना- ख़ुशी तुरंत ही जाहिर कर दी ।

विवरण:

हुआ यूँ कि सोमवार को Rajya Sabha में राउ IAS स्टडी सेंटर के बेसमेंट में बाढ़ में डूब कर मारे गए बच्चो के ऊपर एक शार्ट डिस्कशन के दौरान Jaya Bacchan को बोलना था। उस समय चेयर में डिप्टी चेयरमैन श्री हरिवंश थे और Rajya Sabha की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने नाम लेकर Jaya Bacchan को बोलने कि अनुमति दी। बस यहीं उनसे एक गलती हो गयी। उन्होंने जया बच्चन कहने के बजाय जया अमिताभ बच्चन जी कह कर पुकारा।

जया बच्चन ने बिना देर किये प्रतिवाद दर्ज करा दिया। उन्होंने कहा सर सिर्फ जया बच्चन बोल देते तो काफी हो जाता।

इस पर डिप्टी चेयरमैन का जवाब था कि यहाँ पर पूरा नाम लिखा था इसलिए मैंने रिपीट किया। जया बच्चन यही नहीं रुकी। उन्होंने कहा कि यह एक नया तरीका निकला है कि महिलाएं अपने पति के नाम से जानी जाएंगी। उनका कोई अस्तित्व नहीं। उनकी कोई उपलब्धि नहीं है अपने में, और अस्तित्व नहीं है।

Jaya Bacchan एक सशक्त शख्सियत:

जया बच्चन एक जानी मानी हस्ती हैं और उन्होंने बॉलीवुड और बंगाल सिनेमा में अपने उत्कृष्ट अभिनय का परचम लहराया है। 76 साल कि यह अभिनेत्री 15 साल कि उम्र से सिनेमा जगत में है जब उन्होंने सत्यजीत रे कि बंगाली फिल्म नहानगर में काम किया था। फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया से उन्होंने गोल्ड मैडल के साथ अपनी पढाई पूरी की। कहा जाता है की उन्होंने अमिताभ के डूबते करियर को सहारा दिया उनके साथ फिल्म ज़ंज़ीर कर के, एक ऐसी फिल्म जिसमे काम करने के लिए उस समय की बड़ी बड़ी अभिनेत्रियों ने मन कर दिया था । यह फिल्म अमिताभ बच्चन की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई और इस फिल्म से ही उनकी एंग्री यंगमैन की छवि स्थापित हुई।

इधर जया बच्चन अपने करियर में आगे बढ़ी और उन्होंने काफी क्रिटिकली एक्लेम्ड फिल्मो में अभिनय किया । हज़ार चौरासी की माँ ऐसी ही एक फिल्म है जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर स्पेशल अवार्ड दिया गया।

Rajya Sabha का सफर:

जया बच्चन का सफर राजनीती में भी उल्लेखनीय है। वे एक सीरियस पॉलिटिशंस के रूप में जानी जाती हैं न कि खेल और बॉलीवुड जगत से आये उन काफी राजनीतिज्ञों कि तरह जो सिर्फ एक या दो सत्र के लिए चुने जाते हैं और कभी भी अपना योगदान नहीं देते। 2004 में वे पहली बार Rajya Sabha की सदस्य बानी और उसके बाद पांच बार वे सदस्य बन चुकी हैं। ये अपनी फ़ायरी स्पीचेस के लिए जानी जाती हैं और निर्भया काण्ड के दौरान भाषण देते हुए इमोशनल भी हो गयी थी। जया बच्चन एक्सटर्नल अफेयर्स की समिति की सदस्य भी हैं ।

प्रतिक्रियाएं:

हालांकि ट्विटर या X पर काफी लोगो को जया का यह रवैया पसंद नहीं आया। उन्होंने जया बच्चन की आलोचना करते हुए पोस्ट की।

 

ये सब उपलब्धि Jaya Bacchan के एक योग्य एवं सशक्त शख्सियत होने का प्रमाण देती हैं । जया बच्चन लगभग 50 साल से ज्यादा समय से पब्लिक लाइफ में हैं और उन्होंने खुद को एक बेहद गरिमा के साथ खुद को कैर्री किया है। उनकी उपलब्धिया महान हैं और वाक़ई में उनको किसी परिचय की आवशयकता नहीं है। जया बच्चन की अपने नाम के साथ अमिताभ बच्चन का नाम लिए जाने पर आपत्ति एक पितृसत्तात्मक समाज की उस प्रवृत्ति के खिलाफ आपत्ति है जहाँ एक महिला को उसके पुरुष सम्बन्धी चाहे वह पिता, पुत्र, पति, या भाई हो के नाम से जाना जाता है। इस तरह की प्रवत्ति वाक़ई महिलाओ के अस्तित्व और उनकी उपलब्धियों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है और इस तरह की चेष्टाओं से कम से कम 21वी सदी में दूर रहना चाहिए जहाँ महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर रही हैं और डट कर काम कर रही हैं।

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