Alka Yagnik: सिंगर अलका याग्निक को हुआ रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिं गलॉस: जानिए इस बीमारी के बारे में सबकुछ

Alka Yagnik

Alka Yagnik: बॉलीवुड की मशहूर सिंगर अलका याग्निक को हाल ही में एक दुर्लभ बीमारी का सामना करना पड़ा है। अलका याग्निक को रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस की समस्या हुई है, जिसकी वजह से उनको सुनने में दिक्कत हो रही थी। फिलहाल वह इस बीमारी से रिकवर कर रही हैं। आइए जानते हैं कि यह बीमारी क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं, और इससे कैसे बचा जा सकता है।

Alka Yagnik की समस्या

Alka Yagnik ने सोशल मीडिया के जरिए बताया है कि उन्हें कान से संबंधित समस्या हो गई है। उन्होंने बताया कि यह समस्या एक वायरल अटैक के बाद उत्पन्न हुई है। डॉक्टरों ने उनकी जांच की और पाया कि उन्हें रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस है। यह बीमारी कान के अंदर के हिस्से या कोक्लीअ में मौजूद सेल्स में क्षति के कारण होती है।

क्या होती है रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस?

रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस एक ऐसी समस्या है जिसमें मरीज को कुछ भी सुनने में परेशानी होती है। इसमें कान से ब्रेन तक आवाज को पहुंचाने वाली नसों की सेल्स डैमेज हो जाती हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 45 वर्ष की आयु के बाद इसका जोखिम बढ़ जाता है।

क्यों होती है यह बीमारी?

डॉ. कृष्ण राजभर, दिल्ली के ईएनटी और एलर्जी विशेषज्ञ, बताते हैं कि इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। ओटोटॉक्सिक दवा का सेवन, सिर में चोट लगना, वायरस का संक्रमण और मेनिएर्स बीमारी इस समस्या के कुछ आम कारण हैं। इसके अलावा, अधिक शोर में रहना और कुछ विशेष दवाओं का सेवन भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।

लक्षण क्या होते हैं?

रेयर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लॉस के लक्षणों में शामिल हैं:

  1. बातचीत सुनने और समझने में परेशानी होना: मरीज को बातचीत को ठीक से सुनने और समझने में कठिनाई होती है।
  2. एक कान से दूसरे की अपेक्षा बेहतर सुनाई देना: एक कान से सुनाई देना कम हो सकता है जबकि दूसरा कान सामान्य हो सकता है।
  3. कानों में भिनभिनाहट या घंटियाँ बजने जैसी आवाजें (टिनिटस): कानों में अनचाही आवाजें सुनाई दे सकती हैं।

कैसे की जाती है पहचान?

इस बीमारी की पहचान के लिए ऑडियोलॉजिस्ट सुनने की क्षमता की जांच करता है। इससे यह पता चलता है कि मरीज कितना सुन सकता है और आवाज पर उसका कैसा रिस्पांस है। यह जांच यह भी बताती है कि सुनने की क्षमता कितनी कम हो गई है और उसके हिसाब से आगे का ट्रीटमेंट किया जाता है।

कैसे करें बचाव?

  1. नियमित जांच: 45 वर्ष की आयु के बाद ईएनटी डॉक्टर द्वारा कान की नियमित जांच करानी चाहिए।
  2. शोर से बचाव: अधिक शोर में रहने से बचना चाहिए और कानों को अधिक जोर से सुनने वाले उपकरणों से बचाना चाहिए।
  3. स्वास्थ्यकर आदतें: स्वास्थ्यकर जीवनशैली अपनाना चाहिए और किसी भी समस्या के होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Alka Yagnik का अनुभव और संदेश

Alka Yagnik का अनुभव बताता है कि समय पर निदान और उचित इलाज से इस बीमारी से निपटा जा सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया है कि उनकी समस्या वायरल अटैक के बाद उत्पन्न हुई और डॉक्टरों ने समय पर उनकी जांच की जिससे वह इस बीमारी से रिकवर कर रही हैं।

Alka Yagnik

अलका याग्निक की कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो इस प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं। समय पर जांच और उचित इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और सामान्य जीवन जिया जा सकता है। इससे सबको प्रेरणा मिलती है कि अपनी सेहत का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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